सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। 2024 के नए साल की शरुआत हो चुकी है और विश्वास कीजिए और काफी पापड़ बेलने पड़ रहे है इस ब्लॉग को चलाने के लिए, क्योंकि जिन लेखकों ने मुझे आश्वासन दिया था कि हम तुम्हारे साथ है वे निजी कार्यों में व्यस्त हैं।कारण साफ़ है "नर को बखान करे तऊ न अरथ सरै ऐसी कविताई को बहाय दीजै पानी में"
कोई बात नहीं "जोदि तोर डाक शुने केऊ ना आसे तबे एकला चोलो रे" 😊😊😊
कोशिश तो करनी ही है...आपको इतने बड़े-बड़े वादे करके साथ कैसे छोड़ सकते है हम। आपके लिए एक स्वरचित लघु नाटक लिख रहे हैं।
वैसे पता है कि अगर थोड़ी भी रूचि जगी हो तो आपको पढ़ने का मन जरुर करेगा.. साथ रहिएगा, और बहुत - बहुत धन्यवाद उन पाठकों का जो बीच - बीच में चेक करने आते हैं कि पौधा मरा या नहीं। यकीन कीजिए पौधा मरा नहीं है साँस ले रहा है। जी, जिन्दा है अभी। सपने बुन रहा है आगे बढ़ने का। अपने पाठकों को कुछ सबसे अच्छे अहसासों से रूबरू कराने का।
अपडेट है कि रील्स की लत वाला आर्टिकल कम्पलीट है और कतार में है कि उसे पब्लिश किया जाए... लेकिन कुछ खाली-खाली सा लग रहा है कि कोई कुछ बढ़िया सा फोटो या विडियो चिपका दिया जाए लेकिन फिर गूगल बाबा को हमेशा ओरिजिनल चीजें चाहिए होती हैं। सो क्या करें?
खैर साथ रहिए।मस्त रहिए।

